The world speaks, much more than it listens, O how it speaks, on things beyond its mind - a gathering, mostly the enlightened, but a few fools, who care to listen, fools, who still dream, of making the world listen, more than it speaks... of changing it for the better, of taking it beyond the bickering, of not letting it sink in the shallow. O world listen thou shall, O world listen thou must, To these fools with dreams, some broken but all pure, pure as the new dawn they seek. O world give them hope to feed from while all's unjust. Let them fuel from it all, so that when they speak, it matters.
कभी मौका मिले तो एक बार, आधी रात के बाद सैर पर ज़रूर निकलना भटकना यहां वहाँ, या ढूंढना, अपने ख्यालों में उन खोये हुए ख्यालों को | सन्नाटे में वो सुनाई देंगे कुछ अच्छे से, अँधेरा भी मदत करेगा, ध्यान भटकने न देगा सुनना उनकी भी फरयाद, करना अपने कल को फिर याद | चलते चलते जो थक जाओ तो ठहर जाना, किसी पेड़ के पास बैठ जाना और फिर देखना ये रात का शेहर कैसे करवटें बदलता है | हवा कैसे चुपके से गाती है कैसे गाड़ियां अपने मालिकों को घर ले जाती हैं जब वो आखरी गाडी निकल जाए तो फिर खुद पर आ जाना, उठा जाना और चल पड़ना | बीच में कोई चहेता गीत गुनगुनाना तो चुटकियों के ताल खुद ही लग जाएंगे बादलों को पसंद आये साज़ तो मस्ती में वो भी बरस जाएंगे | कभी मौका मिले तोह एक बार, आधी रात के बाद सैर पर ज़रूर निकलना कभी कभी यूं ही भटकने से भी मंज़िलें मिल जायती हैं |