इन महानगरों की भीड़ में रोज़ हज़ारों चेहरे दीखते हैं कुछ खुश, तो कुछ चिंता में सब अपनी कहानी लिखते हैं इन चेहरों का, इस भीड़ का अब मैं भी एक हिस्सा हूँ इन पुरानी कहानियों में मैं एक नया किस्सा हूँ पर इस भीड़ में कुछ चेहरे ढूँढता रह जाता हूँ मगर उनका एहसास ही मुझे सुकून देता है और वो सुकून ही मैं चाहता हूँ आखिर वो चेहरे दिल के करीब हैं वो चेहरे मेरे अपनों के हैं उनके साथ बिताये पल अनमोल हैं कुछ मीठे सच तो कुछ सपनो-से हैं उन चेहरों में जो आखें हैं उनसे मेरे लिए सच्चा प्यार छलकता है उन चेहरों पे हंसी देखकर दिल ख़ुशी से महकता है याद आती है उन चेहरों की तो आखें नम-सी हो जाती हैं उस पल उन्हें पास न पाकर ज़िन्दगी कुछ थम सी जाती है मगर जब उन चेहरों का ख़याल आता है तो फिर अन्दर से मज़बूत हो जाता हूँ उस हंसी के लिए आखें पौंछ कर फिर चेहरों की उस भीड़ का एक हिस्सा बन जाता हूँ