This is not an original creation by me. It is my favorite hindi poem written in 'veer' ras... from the movie Gulaal, the soundtrack that accompanies it in the movie makes it even more engaging.... here it is आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो जो मन करे सो प्राण दे जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्व शक्तिमान है कृष्ण की पुकार है ये भागवद का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है कौरवों की भीड़ हो या पांडवों की नीड़ हो जो लड़ सका है वो ही तो महान है जीत की हवास नहीं किसी पे कोई वश नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरें ये जाके आसमान में दहाड़ दो आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो आरम्भ है प्रचंड .... हो दया का भाव...