Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2012

If the world is not a stage

What if the world isn't a stage, but a playground of the mere mortals? What if we aren't actors meant to play our parts, but ordinary people destined for greatness? What if we have the power we crave for, the one we pray for, inside us, somewhere, hidden? What if we are capable of not only moulding our lives, but changing the ones we touch, forever, for the better? What holds us back then, from tapping into our own source, our own existence? For if the world is a stage, The ones holding the strings simply think otherwise..

एक छोटी सी हसरत

मेरी हसरतों पर, लगने दे उमंगों के पर, आज एक लम्भी उड़ान भरने दे.. मेरी आशाओं पर , लगा काबिलियत की मौहर, उन ख्वाबों को आज सच होने दे, ये ख्वाब अगर टूटें तो, सिर्फ सच होने के लिए, उस गुमशुदा सी हंसी से आज मिलने दे.. ऐ खुदा कर इतनी इनायत, कर कबूल मेरी ये इबादत, सपने देखकर उन्हें सच करने की हंसरत दे..

तो कैसा हो?

दिल की वादियों में, मोहब्बत के सुर राम जाएँ तो कैसा हो? गुस्ताख़ मैं हूँ , गुस्ताख़ तुम हो, गुस्ताख़ियों से भरा एक समा कैसा हो? होठों  की जुस्तुजू में, ये ज़िन्दगी सिमट जाए तो कैसा हो? एक हंसी की चाहत में, ये दिल धड़क जाए तो कैसा हो? अल्फाजों में जो बयाँ न हो सके, इस क़दर हो प्यार तो कैसा हो? तनह्यिओं की ख़ामोशी में, दिल पे दस्तक पड़ जाए तो कैसा हो? दुखों और तनाव की धुप में, मासूमियत की छाया मिल जाए तो कैसा हो? इन अजनबी राहों में चलते हुए, एक प्यारा हमसफ़र मिल जाए तो कैसा हो?