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Showing posts from June, 2012

एक दुनिया

कुछ रंगीन धागों से बुनी एक दुनिया मेरी भी है कुछ हसीं यादों से जुडी  एक दुनिया मेरी भी है कुछ अनदेखे पलों के इंतज़ार में एक दुनिया मेरी भी है कुछ लम्हों के बाज़ार में  एक दुनिया मेरी भी है कुछ सच्चाइयों से जूझती  एक दुनिया मेरी भी है कुछ सवालों को पूछती  एक दुनिया मेरी भी है कुछ लोगों से जुड़ी  एक दुनिया मेरी भी है कुछ राहों से मुड़ी एक दुनिया मेरी भी है कुछ अंधेरों के बोझ में  एक दुनिया मेरी भी है कुछ उजालों की खोज में  एक दुनिया मेरी भी है

दौड़

ज़िन्दगी की दौड़ में भागते रहो तो क्यों? ये भला कि वो बुरा सोचते रहो तो क्यों? इस असीम दौड़ की रेखा तुम्हे क्या दिख रही? या तुम्हारे माथे पर चिंता है कुछ लिख रही? क्या दो पल रुकने से दिल सेहेम सा जाता है? या की खुद से मिलने से  मन तुम्हारा घबराता है? दिल की सुनो तो कुछ सिक्के  तुम भी खो जाओगे मन की व्यथा में झाँक कर  भी भला क्या पाओगे? ये दौड़ है कुछ अजीब सी इसमें जीत भी कुछ गरीब सी कुछ पाने पर भी बहुत पीछे छूट जाएगा घडा है बना तो मिट्टी का आखिर ये टूट जाएगा  ज़िन्दगी की दौड़ में भागते रहो तो क्यों? ये भला कि वो बुरा सोचते रहो तो क्यों?