इन बादलों की पनघट ने
छींट चंद बरसाए तो थे
आखों पे थिरक कर वो
आंसू बन आये तो थे ।
हंसी को तलाशते ये आसूं
बेह रहे मदहोश-से हैं
ज़िन्दगी को छोड़ ज़िन्दगी की आस में
मेरे ख्वाब कुछ खामोश-से हैं ।
चलता हूँ जिस रास्ते पर हर पहर
उस पर आज भी खडा हूँ
जाना कहाँ है ये पता है
फिर भी ज़िद पर अड़ा हूँ ।
ज़िद है तो हवाओं का रुख बदलकर
बादबानों में जोश भरने की
जिद है तो बुलंद उम्मीदों से
अपने ख्वाबों में शब्द भरने की ।
ये ख्वाब ही तो हैं
जो खामोशियों को ललकारते हैं
ये ख्वाब ही तो हैं
जो कल को पुकारते हैं ।
उस कल के रास्ते पर
कई रंजिशों से जूझना अभी बाकी है
उन खामोश ख्वाबों से
कई सवाल पूछने अभी बाकी हैं
छींट चंद बरसाए तो थे
आखों पे थिरक कर वो
आंसू बन आये तो थे ।
हंसी को तलाशते ये आसूं
बेह रहे मदहोश-से हैं
ज़िन्दगी को छोड़ ज़िन्दगी की आस में
मेरे ख्वाब कुछ खामोश-से हैं ।
चलता हूँ जिस रास्ते पर हर पहर
उस पर आज भी खडा हूँ
जाना कहाँ है ये पता है
फिर भी ज़िद पर अड़ा हूँ ।
ज़िद है तो हवाओं का रुख बदलकर
बादबानों में जोश भरने की
जिद है तो बुलंद उम्मीदों से
अपने ख्वाबों में शब्द भरने की ।
ये ख्वाब ही तो हैं
जो खामोशियों को ललकारते हैं
ये ख्वाब ही तो हैं
जो कल को पुकारते हैं ।
उस कल के रास्ते पर
कई रंजिशों से जूझना अभी बाकी है
उन खामोश ख्वाबों से
कई सवाल पूछने अभी बाकी हैं
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