कभी मौका मिले तो एक बार,
आधी रात के बाद सैर पर ज़रूर निकलना
भटकना यहां वहाँ, या ढूंढना,
अपने ख्यालों में उन खोये हुए ख्यालों को |
सन्नाटे में वो सुनाई देंगे कुछ अच्छे से,
अँधेरा भी मदत करेगा, ध्यान भटकने न देगा
सुनना उनकी भी फरयाद,
चलते चलते जो थक जाओ
तो ठहर जाना, किसी पेड़ के पास बैठ जाना
और फिर देखना ये रात का शेहर
कैसे करवटें बदलता है |
हवा कैसे चुपके से गाती है
कैसे गाड़ियां अपने मालिकों को घर ले जाती हैं
जब वो आखरी गाडी निकल जाए
तो फिर खुद पर आ जाना, उठा जाना और चल पड़ना |
बीच में कोई चहेता गीत गुनगुनाना
तो चुटकियों के ताल खुद ही लग जाएंगे
बादलों को पसंद आये साज़
तो मस्ती में वो भी बरस जाएंगे |
कभी मौका मिले तोह एक बार,
आधी रात के बाद सैर पर ज़रूर निकलना
कभी कभी यूं ही भटकने से भी
मंज़िलें मिल जायती हैं |
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