रात के खामोश अंधेरों में भी,
सितारों से रौशन आसमान हुआ करते थे.…
भीड़ों कि भाग दौड़ के बीच खड़े,
फूलों से सजे गुलिस्तां हुआ करते थे…
धड़कनो के बीच छुपे सन्नाटे को,
सुनकर समझने वाले मेज़बान हुआ कर थे…
कभी सच्चाई तो कभी पागलपन से,
मन को बहलाने वाले कुछ दोस्त हुआ करते थे…
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