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Showing posts from April, 2011

Kya Bhoolein Kya Yaad Karein

जब छूट जायेंगे पीछे ये पल सुकून के. तब मन में यही सवाल आएगा- क्या भूलें ,क्या याद करें ? भूल जाएँ अपने घर को छोड़ना एक नयी मंजिल के लिए, या याद करें नए दोस्तों बनाने का वो फ़साना सुहाना... भूल जाएँ exams में कम marks लाके मायूस होना, या याद करें उस ग़म को दोस्तों के साथ हंसी में डुबाना...  भूल जाएँ कि दोस्त एक मर्तबा birthday का cake  भूल गए थे, या याद करें उनका अपने हाथों से ice cream का cake बनाना... भूल जाएँ वो classes जो सुबह देर से जागने पर छूट गयीं, या याद करें वो पिछली रात हुई फ़िज़ूल की बातें जिनसे चेहरे पर हंसी फूट गयी थी... भूल जायेंगे कभी जब खुद को, याद आयेंगी जब इस पल अनजाने में की गयी कुछ बातें, भूल जायेंगे वो ग़म में की हुई फरियादें, जब याद करेंगे college की ये भूली बिसरी यादें... *** This Post is dedicated to all my college friends and to the masti we did in these 3 years together, which we will surely miss later. Cheers to all ! ****

Puraani Kitaab

आज एक पुरानी किताब के पन्ने पलटे, तो उनमे से किसी की खुशबू मिली, मिले चंद सूखे  गुलाब के फूल, जमी थी उन पर गुज़री यादों की धूल... आखरी पन्ने को, जब पलटा बिना ऐतियात के, तो गिरी कुछ पुरानी तसवीरें, बिखर गया यूँ मेरी मेज़ पर वो गुजरा ज़माना.... लिखे थे उन पन्नो में कुछ गानों के बोल, कुछ जो थे फ़साने प्यार के, कुछ ज़िन्दगी की गहराईयों में झांकते हुए, बयाँ कर रहे थे हर पहलू का मोल... कितना सादा था वो ज़माना, फिर भी सादगी से भरा हुआ... कितना खाली खाली सा था वो आशियाना, फिर भी ज़िन्दगी से भरा हुआ....

Lamhe...

लम्हे.... इस ज़िन्दगी से उभरते हुए ... इस ज़िन्दगी को उभारते हुए.. लम्हे... कुछ ऐसे जिन्हें मैं फिर से जीना चाहता हूँ... कुछ ऐसे जिनके साथ हमेशा जीना चाहता हूँ ... लम्हे... कुछ पहली मुलाकातों के... कुछ खट्टी मीठी बातों के... लम्हे... जिन में दोस्तों की दोस्ती को स्वीकार किया .., जिन में सिर्फ चंद तस्वीरों के ज़रिये किसी से प्यार किया... लम्हे... कभी सुबह की ओस में खिलखिलाते फूलों जैसे... तो कभी सर्दियों की सेज पर बिछे सूखे पत्तों की चादर जैसे... लम्हे... जो मन में याद बन कर रह गए... जो दिल में धड़कन बन कर समा गए... लम्हे... जिनमे दिल की ये दुआ होठों से निकले और हम कहें... ऐ खुदा ये लम्हे सदा यूँ ही, हमसे राह में मिलते रहे...

Yaad

कुछ साल बीत जाने के बाद, कुछ साल याद आते हैं, कुछ लोग मिल जाने के बाद, कुछ दोस्त याद आते हैं... मेज़ पर काम करते करते, घर पर cricket का वो शोर याद आता है, हाथ में कलम पकड़े हुए, वो ball  फिर थामने को जी चाहता है... कमरे के सन्नाटे में. दोस्तों की हंसी गूंजती है, 'क्या चाहिए बता?', माँ सपने में ये पूछती है... याद आता है वो गलियों में cycle पर घूमना-फिरना. जब थी न कोई चिंता, जब नहीं पड़ता था कल से डरना... इन पलों से फिर चेहरे पर, हंसी सी खिल जाती है, कुछ और न मिले भले ही आज, कम से कम ये कल की यादें फिर मिल जाती हैं...

Kyon Ye Khayaal Aata Hai....

 Ok.... so this is the first poem on my blog which is based on a romantic theme..... I hope my readers enjoy it.... :) किसी को प्यार में खोये देख कर, क्यों खुद को भूलने का मन करता है... दो अजनबियों को हाथ पकडे देख कर क्यों खाली सा अपना हाथ लगता है.... तसवीरें देख के जानने वालों की उनके चाहने वालों के साथ, क्यों रंग अपनी ज़िन्दगी का उड़ा उड़ा सा लगता है... प्यार की दास्तानों को देख कर, सुन कर, पढ़ कर क्यों मिसाल अपने प्यार की कायम करने का मन करता है.... कुछ मद्धम गीत गुनगुनाते हुए, क्यों तुम्हारी कमी महसूस होती है ... तुम जो मुझसे मिली नहीं हो अब तक, क्यों तुम्हे बाहों में समाने का मन करता है... तुम्हारी आहट सपना टूटते ही कहीं खो सी जाती है , क्यों तुम्हारी हंसी कानों से ज्यादा मेरी आखों में बस जाती है... नहीं जानता तुम क्या सोचती हो , फिर भला क्यों, तुमसे और सिर्फ तुमसे प्यार करने का ख़याल मुझे आता है....

In Love with my Life!

Its official now, travelling in Goa just puts some wonderful things into my head. So here I am, sharing one more of mt experiences with you all. I dropped an year after school to prepare for Engineering entrance exams. Now, during that period, there was an intense pressure on me, not created by anybody else, but my own mind. The only thing on my mind was getting into a good engineering college. Those days, my friends who had already got into college after school, used to visit me during their holidays.  One of them was Sambhav Karnawat who had gotten into IIT-Kanpur, one of the premiere institutes of engineering not only in India, but the world as well. As aspirants, me and those preparing with me used to dream about getting there or any one of the seven IITs which existed at that time. I remember getting t stressed by all the work it took, and I also remember asking Smabhav once , “Hey yaar…. Is it all worth IT?” And he answered, “It sure is.” That and things similar to it used t...