कुछ साल बीत जाने के बाद,
कुछ साल याद आते हैं,
कुछ लोग मिल जाने के बाद,
कुछ दोस्त याद आते हैं...
मेज़ पर काम करते करते,
घर पर cricket का वो शोर याद आता है,
हाथ में कलम पकड़े हुए,
वो ball फिर थामने को जी चाहता है...
कमरे के सन्नाटे में.
दोस्तों की हंसी गूंजती है,
'क्या चाहिए बता?',
माँ सपने में ये पूछती है...
याद आता है वो गलियों में
cycle पर घूमना-फिरना.
जब थी न कोई चिंता,
जब नहीं पड़ता था कल से डरना...
इन पलों से फिर चेहरे पर,
हंसी सी खिल जाती है,
कुछ और न मिले भले ही आज,
कम से कम ये कल की यादें फिर मिल जाती हैं...
कुछ साल याद आते हैं,
कुछ लोग मिल जाने के बाद,
कुछ दोस्त याद आते हैं...
मेज़ पर काम करते करते,
घर पर cricket का वो शोर याद आता है,
हाथ में कलम पकड़े हुए,
वो ball फिर थामने को जी चाहता है...
कमरे के सन्नाटे में.
दोस्तों की हंसी गूंजती है,
'क्या चाहिए बता?',
माँ सपने में ये पूछती है...
याद आता है वो गलियों में
cycle पर घूमना-फिरना.
जब थी न कोई चिंता,
जब नहीं पड़ता था कल से डरना...
इन पलों से फिर चेहरे पर,
हंसी सी खिल जाती है,
कुछ और न मिले भले ही आज,
कम से कम ये कल की यादें फिर मिल जाती हैं...
अत्युत्तम. इसे पढ़ते समय मुझे ऐसा लगा की मैं वाकई में वो सभी चीज़ें देख रही हूँ और उस समय में वापिस चली गयी जहाँ सब कुच्छ आसन था :) आगे भी ऐसे ही लिखते रहो :)
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ... आप सबके प्रोत्साहन का ही कमाल है :)
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